नये साल में,
तुम सुर्ख गुलाबों सी ,
खिलखिलाओं ,
और मैं मंद पवन सा,
धीरे- धीरे तुममे बहता रहूं।
तुम भीनी सुगंध लिए महको,
और मैं बांजूएं फैलाएं
उसेमहसूसता रहूं,।
तुम अंखियों के पैमानों से
जामछलकाओं
और मैं होठों से उसे पी-पी
मदहोष होता रहूं।
तुम लाख मुझसे दूर जाना चाहो,
मैेें बार- बार ,
मैेें बार- बार ,
हर बार तुम्हारे पास आतुम्हें .....
.बस तुम्हें जीता रहूं।