Translate

Translate

बुधवार, 17 नवंबर 2010

बस इतनी सी आरजू है


बस इतनी सी आरजू है,
तुम चाहो तो भूल जाओ मुझे,
पर बचाएं रखना हमेषा,
अपनी मुस्कुराहट,
हंसाना, खिलखिलाना,
सहेजे रखना, गुलाबी होठ,
पावों की थिरकन,
दिल का गुनगुनाना,
पाजेवों की रूनझून,
सपनों में खो जाना

समेटे रखना बांहो में,
ष्षबनम की बूंद,
कचनार के फूल ,
हरि- भरी दूब ,
और बारिष में जी भर
भींगने का कोई बहाना,
सजाए रखना हमेषा,
आंखों में काजल
जुल्फों में सावन,
बदन की खुषबू
और हर पल जी लेने का
अपना तराना।

4 टिप्‍पणियां: