मैं जानता हूं तुम जमाने से
तेज दौड़ना चाहती हो
और तुम्हें लगा कि मेरे कदम
इतने मजबूत नही कि
तेरे साथ दौड़ सकें!
पता नहीं तुम्हें कब,
चंदा की चमक से प्यारी,
बिजली की चकाचैध लगने लगी,
ष्षबनम की बूंदों पर चलते- मचलते,
तुम्हे रेड़ कारपेट लुभाने लगा,
हवा के मंद- मंद बयार से प्यारी,
सिक्कों की खनक लगने लगी,
तब तुमने अपनी रफ्तार बढ़ा ली,
और इसने कुचल दिए
हमारे रिष्ते,
पर तुम्हें इसका कोेई मलाल नहीं,
क्योंकि तुम पूरा करना चाहती हो,
जमाने से दो कदम आगे जाने की
अपनी जिद,
तेज रफ्तार, भागते दौड़ते
जब कभी थक जाओ तो एक बार
पीछे मुड़कर जरूर देखना,
ष्षायद तुम्हें महसूस हो कि
जिंदगी रफ्तार से ज्यादा खूबसूरत है।
तेज दौड़ना चाहती हो
और तुम्हें लगा कि मेरे कदम
इतने मजबूत नही कि
तेरे साथ दौड़ सकें!
पता नहीं तुम्हें कब,
चंदा की चमक से प्यारी,
बिजली की चकाचैध लगने लगी,
ष्षबनम की बूंदों पर चलते- मचलते,
तुम्हे रेड़ कारपेट लुभाने लगा,
हवा के मंद- मंद बयार से प्यारी,
सिक्कों की खनक लगने लगी,
तब तुमने अपनी रफ्तार बढ़ा ली,
और इसने कुचल दिए
हमारे रिष्ते,
पर तुम्हें इसका कोेई मलाल नहीं,
क्योंकि तुम पूरा करना चाहती हो,
जमाने से दो कदम आगे जाने की
अपनी जिद,
तेज रफ्तार, भागते दौड़ते
जब कभी थक जाओ तो एक बार
पीछे मुड़कर जरूर देखना,
ष्षायद तुम्हें महसूस हो कि
जिंदगी रफ्तार से ज्यादा खूबसूरत है।
khoobsurat
जवाब देंहटाएं