कदमम से कदम मिलाकर,
देखोो मौसम कितना हसिन हो गया है,
चलों साथ भींगते हैं बारिश की बूंदों में,
कभीी तुम भींगते पत्तों को छूना ,
तोो कभी हथेलियों पर बूंदें फिसलाना,
औरर मैं तुम्हारे लिए बूनुं एक कविता।
चलोो न मेरे साथ,
गंगा घाट घाट चलें,
पहले किनारे बैठ जल तरंगों को निहारें,
मैंं कागज की नाव बनाउं
औरर तुम उसे बहाते हुए
जोशिले अंदाज में कहो
देखो मेरा नाव कितना दूर निकल गया,
फिरर मैं तुम्हारा हाथ पकडु
औरर हम गंगा में गोते लगा आएं,
तुम किनारे आ कपडे बदलो,
औरर मैं चोरी- चोरी तुम्हें देखता रहूं।
चलो न साथ, नाइट शो की टिकट ले
फिल्म देख आएं,
इंटरवलल में तुम मेरे लिए चिप्स खरिदो,
ªऔरर मैं तुम्हारे लिए कोल्ड्रीक्स,
फिर रस्ते भर बतियाते हुए,
रिक्सेे से लौट आएं घर,
चलो न शापिंग पर चलें,
तुमम ट्रायल रूम से नई ड्रेस पहनकर निकलो
और पुछो कैसा है!
मैं मुस्कुराता हुआ कहुं
बहुत खुबसूरत,
फिर साथ- साथ आइस्क्रीम खाएं,
तुम हाथों में गुब्बारे लिए सड़क को निहारो
मैं निहारू तुम्हें,
चलो न साथ-साथ,
मंदिर चले,
प्रार्थना कर हम बाहर निकले
तो तुम मुझसे पूछो क्या मांगा!
और मैं झट से कहूूं- तुम्हें
और तुम्हारा चेहरा लाज से सुर्ख हो जाए,
चलो न मेरे साथ ,
कदम से कदम मिलाकर,
यूंही जिंन्दगी भर...........
khoobsoorat. .....yah to jindagi hai dost. ..yahi to sb chahte hai. magar milta kaha hai. ..jise mil jaye wah ise kdr se rakhta kaha hai....jee lo jee bhar kr. ..jindagi khoobsoorat hai
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